
का हुआ वशिठ चाचा| इ भोरे भोरे कपार पर हाथ रख कर का बुदबुदा रहे हैं|
क्या सोच रहे हैं बाबा? कल से देख रहे हैं आप एकदम गुमशुम होकर कुछ सोचते हैं फिर कुछ बुदबुदाते हुए लिखने लगते हैं, रामदीन चाचा के साथ साथ नंदी ने भी अपने बाबा से पूछा|
कुछ नहीं बउआ, बस अतीत के कुछ पन्नों को पलट रहा हूँ | सूर्य से बात कर रहा हूँ और प्रकृति से पूछ रहा हूँ कि एक पिता जब अपने पुत्र के घर गया था तो इसमें कौन सी ऐसी अनहोनी हो गयी कि वह इतना उद्वेलित हो गयी? पिता अपने बेटे के घर में ही तो गए थे न और वो भी तब जब जब बेटा शनि घर में मौजूद था , तो फिर प्रकृति क्यों इतनी अशांत हो गयी कि धरतीये डोला दी| आ उ भी धीरे से नहीं इतना जोर से कि पूरा उत्तर भारत हिल गया|
अपना गांव भी हिला था क्या बाबा?
हाँ रे अपना गांव तो इतना जोर से हिला था कि सबका घर गिर गया था|
ई कब हुआ था बाबा?
साल 1934 के 15 जनवरी को हुआ था बउआ, बाबा ने नंदी से कहा|
त उस बात को आप आज क्यों प्रकृति से पूछ रहे हैं?
उसकी भी कोई बजह है बउआ|
प्रकृति ने कुछ कहा बाबा?
हाँ, कह रही है कि पिता जब यह जान रहा था कि अभी घर में दुल्हिन नहीं है और बेटे के साथ मंगल और राहु दोनों उसके उपद्रवी दोस्त मौजूद हैं तो ऐसे में वह कुछ दिन रूक नहीं सकता था| जब ये दोनों उसके घर से निकल जाते तब जाता| हरबड़ में गड़बड़ होता है यह जानते हुए भी ये हड़बड़ाया तो क्या होगा, मामला त गड़बड़ैबे करेगा|
त आज आप उसको कहे याद कर रहे हैं बाबा ?
उ इसलिए कि अब फिर पिता सूर्य, अपने बेटे शनि के घर गए हैं|
बेटे का दोनों दोस्त भी है उहाँ का बाबा?
नहीं अभी उ दोनों त वहां नहीं है| अभी शनि के पडोसी और एक दूर का दोस्त वहां हैं|
जब ई दोनों वहां हैं त फेर प्रकृति से पूछ कर जाना था न सूर्य को| फिर से वही हड़बड़ी | अभी आपने कुछ नहीं पूछा बाबा, प्रकृति से?
हां रे छोटंकी पूछा है| उसने एक हल्का सा संकेत किया और कह रही है कि उसके इस संकेत को मैं अपने मति के अनुसार विश्लेषित करूं और समझूँ|
ओ हो, ये प्रकृति तो आपका टेस्ट ले रही है बाबा|
अब आप क्या कीजियेगा बाबा ?
टेस्ट दीजियेगा?
हम कुछ मदद करें बाबा कि आपके दिमाग का बत्ती भुक्क से जल जाये और आपको प्रकृति क्या कहना चाह रही है समझ में आ जाये|
किसके दिमाग का बत्ती जला रही हो नंदी, उसके पिता ने कमरे में प्रवेश करते हुए पूछा|
बाबा के दिमाग का बत्ती जलाने में मदद कर रही हूँ बाबूजी|
अच्छा अच्छा अब तुम जाओ अपनी माँ के पास और हम बाप बेटे को बतियाने दो|
नंदी के जाने के बाद शिवि ने अपने पिता से कहा कि क्या हुआ पिताजी, काहे इतनी चिंता में हैं|
अरे बेटा, पुराना दर्द उभर आया है|
कौन सा दर्द पिताजी?
अपना घर गिर जाने का दर्द बेटा|
एक बार फिर से पिता अपने बेटे के घर गया है | उसके जाते ही अन्य ग्रहो ने जिस तेजी से अपनी चाल को बदलना शुरू किया है वह परेशान कर रही है| बसंत पंचमी आते आते जितनी तेजी से ये सभी ग्रह अपनी चाल बदल रहे हैं कहीं कुछ अनहोनी न हो जाये| प्रकृति को लगता है इस बार भी सूर्य का अपने बेटे के घर जाना रास नहीं आया| गुस्से में है|
20 फरवरी से 27 फरवरी तक, 10/11’मार्च और 24 अप्रैल से 2 मई तक, 16 जुलाई, 2अगस्त को, जिस प्रकार ग्रहों का मेल हो रहा है, उसे देखते हुए हमें थोड़ा भय तो हो ही रहा है, चिंता भी हो रही है|
ऊपर से शुक्र को धड़फड़ी है गुरु से मिलने का| गुरु और शुक्र का इतने करीब होना, रास्ता हिंसक होता हुआ तो दिख ही रहा है, आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल का दाम भी बढ़ेगा|
चीन की तरफ से अलग अलग मोर्चे पर परेशान किया जाना बढ़ेगा| चीन और रूस की नज़दीकी वर्तमान समय में हमारे लिए सही नहीं है| अब देखो न बख़्तरबंद गाड़ियां, मिसाइलें और जंगी हथियार अमेरिका से यूक्रेन (कीव) पहुंच चुके हैं।
इस वर्ष के गर्भ में युद्ध जैसे हालत और प्राकृतिक आपदा है|
अरे छोड़िये इन परेशानियों को| अपने योगेश्वर का ध्यान लगाइये| वो सब संभाल लेंगे|
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमोनमः ।।