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ज्योतिषशास्त्र कभी भी एकांगी होकर बात नहीं करता है| कभी भी एक सूत्रीय फार्मूला नहीं देता है| मानसून में कितनी होगी बारिश इसके फलादेश हेतु सूर्य के धनु राशि में प्रवेश से ही बहुआयामी विश्लेषण करना प्रारम्भ किया जाता है| इन सभी के बारे में मैंने पहले यहाँ चर्चा की है|
इसी सन्दर्भ में आषाढ़ माह का भी गहन अध्ययन और विश्लेषण किया जाता है| आषाढ़ माह शुरू होने के बाद आने वाले पंचमी का विश्लेषण उस दिन के वार और नक्षत्र के साथ मिला कर बनने वाले योग के आधार पर किया जाता है और मानसून के बारिश हेतु फलादेश किया जाता है|
इस बार आषाढ़ पंचमी को वार और नक्षत्र के संयोग से बनने वाले योग के आधार पर सामान्य से अधिक वर्षा का संकेत मिलता है| साथ ही साथ कुछ प्रांतों में अतिवृष्टि से फसल का नुकसान और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने का संकेत मिलता है|
इससे पहले अन्य माह में बनने वाले योगों ने जिस प्रकार का संकेत दिया है इसने भी उसका समर्थन किया है|