
जब बात कोविड-19 की हो और इससे जुड़कर भारी भरकम शब्द ,एसिम्पटोमैटिक, प्रीसिम्पटोमैटिक, सोशल डिस्टैन्सिंग, आइसोलेशन, आदि हम तक पहुँचते हैं तो ऐसे में हमें याद आयी भगवान धन्वंतरि की | भगवान धन्वन्तरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता माने जाते हैं। वे महान चिकित्सक थे जिन्हें देव पद प्राप्त हुआ। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार समझे जाते हैं। इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था। त्रयोदशी को धन्वंतरी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था। इसीलिये दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरी का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था। इन्हे आयुर्वेद की चिकित्सा करनें वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी।
आज हमसब जानेंगे कि धन्वंतरि ने कौन कौन सी ऐसी औषधियां बतलाई हैं जो कि सभी रोगों का नाश कर आयु बढ़ानेवाली है |धन्वंतरि ने इन्हे मृत्युंजय योग कहा है | योग सिर्फ ग्रहों और नक्षत्रों का ही नहीं होता वरन अन्य पदार्थों का भी होता है |
इस समय इस तरह कि जानकारी लोगों तक पहुंचाए जाने की आवश्यकता है | अपने अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे बढ़ाएँ, यह जानने की जरूरत है क्योंकि तभी हम रोगों का मर्दन कर सकते हैं और आयुष्मान हो सकते हैं |
तो आइये जानें :-
1 – मधु, घी, त्रिफला और गिलोय का सेवन करें |
2 – एक टोले की मात्रा में त्रिफला का सेवन भी रोगों को नष्ट कर आयु प्रदान करनेवाला होता है |
3 – एक मास तक बेल के तेल का नस्य लेने से आयु वृद्धि और शक्ति उपलब्ध होती है |
4 – भिलावा एवं तिल का सेवन रोग और अपमृत्यु को दूर करता है |
5 – खांडयुक्त दूध पीने से सौ वर्ष की आयु प्राप्त होती है |
6 – प्रतिदिन प्रातःकाल मधु, घी और सोंठ का चार तोले की मात्रा में सेवन करनेवाला मनुष्य मृत्यु विजयी होता है |
7 – शहद के साथ भुईं आंवला को एक तोले की मात्रा में खाकर दूध पीने वाला मनुष्य मृत्यु पर विजय प्राप्त करता है |
8 – शहद, घी अथवा दूध के साथ मेउर के रस का सेवन करनेवाला रोग एवं मृत्यु को जीतता है |
9 – छह मास तक प्रतिदिन एक तोले भर पलाश के तेल का शहद के साथ सेवन करके दूध पी लेने से लम्बी आयु की प्राप्ति होती है |
10 – शहद के साथ घी और चार तोले भर शतावरी चूर्ण का सेवन करने से आयु में वृद्धि होती है |
11 – लौह भस्म तथा शतावरी को भृंगराज के रस में मिलाकर मधु एवं घी के साथ लेने से रोग का नाश होता है और आयु में वृद्धि होती है |
12 – ताम्र भस्म, गिलोय, शुद्ध गंधक, सामान भाग में घीकुँवार के रस में घोटकर दो दो रत्ती की गोली बनाएं |इसका घी के साथ सेवन करने से मनुष्यों में रोग का नाश होता है और आयु वृद्धि होती है |
13 – गदहपूर्णा का चूर्ण एक पल शहद, घी और दूध के साथ खाने वाला व्यक्ति भी रोग मुक्त होकर सौ वर्षों तक जीवित रहता है |
14 – अशोक की छाल का चूर्ण, शहद और घी के साथ खाकर दूध पीने से रोगनाश होता है |
15 – नीम के तेल का मधु सहित नस्य लेने से मनुष्य रोगमुक्त होकर सौ वर्षों तक जीता है |
16 – बहेड़े के चूर्ण को एक तोला मात्रा में शहद शहद, घी और दूध से पीनेवाला रोगमुक्त होकर शतायु होता है |
17 – एक मास तक सफेद पेठे के एक पल चरण को मधु, घी और दूध के साथ सेवन करते हुए दूध पी लेने और साथ में दुग्धान्न भोजन करनेवाला निरोग रहकर एक सहस्त्र वर्ष की आयु का उपयोग करता है |
18 – त्रिफला, पीपल और सोंठ -इनका प्रयोग तीन सौ वर्षों की आयु प्रदान करता है |
19 – ‘ॐ ह्रूं सः’ – इस मन्त्र से अभिमंत्रित योगराज मृतसंजीवनी के सामान होता है |उसके सेवन से मनुष्य रोग और मृत्यु पर विजय प्राप्त करता है |
देवता, असुर और मुनियों ने इन कल्प सागरों का सेवन किया है |
@ B Krishna